त्यौहारो का चौपाल
लगा है,
एक दिवस का
संसार लगा है,
माया-मोह-कपट
मे देखो,
पुतलो का अंबार
लगा है/
त्यौहारो का चौपाल
लगा है/
बडे-बडे है
देखो रावण,
आग लगाते धरती पावन,
क्रोध-हब्श की
प्यास लगी है,
पुतलो मे अंगार
लगा है/
त्यौहारो का चौपाल
लगा है/
समय-समय की
देखो रंजिश,
माता बहने होती
शोषित,
काले चेहरो की कश्ती
पर,
पुतलो से रोशन
संसार खड़ा है/
त्यौहारो का चौपाल
लगा है/
विजयादशमी की सभी
को बहुत-बहुत
शुभकामनाये/
रचना:
प्रतीक संचेती