Wednesday, 30 May 2012

कोई तो लिख दे!

Written By Prateek Sancheti


कोई तो लिख दे मेरे शब्दों को अपने शब्दों मे,
कोई तो कह दे मेरे लव्जों को अपने लव्जों मे,
अरे! मेरे दीवानो जरा मेरा भी तो दीदार करो,
कोई तो रख दे यह बात मेरे बहते अश्को में।

कोई तो लिख दे मेरे शब्दों को अपने शब्दों मे।

मैं तो तैर रही हुँ अपने पंखों के वजूद पर,
कोई तो उड़ान भर दे मेरे बहकते पंजो मे,
केष के जाल से मेरा सारा निर्माण हुआ,
अब कोई तो बुरख दे कागज का महल मिट्टी के वकतव्यों मे।

कोई तो लिख दे मेरे शब्दों को अपने शब्दों मे।

Saturday, 26 May 2012

जीवन क्या है?

Written By Prateek Sancheti



किसी ने पुछा यह जीवन क्या है?
मैने कहा कला है;
उसने कहा इसका शिक्षक प्रतीक बताओ कहाँ है?

पूछ-पूछ कर वह यह पूछ गया,
क्या मानव इसकी अदा है?
किसी ने पुछा यह जीवन क्या है?
मैने कहा कला है।

बात-बात में सारे पन्ने,
यह कवि खोल गया है;
मेने बोला बेटा पंछी यह तेरी आत्मकथा है।

कह गया वह मेरा जीवन,
आसमानो मे उड़ गया है;
मैने कहा भूल ना नादाँ वहीं रोचक हवा है;


किसी ने पुछा यह जीवन क्या है?
मैने कहा कला है।

Sunday, 20 May 2012

मुस्कुराती जिंदगी

Written By Prateek Sancheti


हँसती है कुछ पल इतना रोती है,
दिल-ए-फरमान तु जिंदगी क्यों मुझको इतना ढ़ोती है?
आस-पास की सारी कश्ती मै तैर लगाने जाता हुँ,
मझधार की शक्ति तु युँ हँसकर झेल लेती है;

हँसती है कुछ पल इतना रोती है,
तेरे एहसानो से “दिललगी” जीवन एक अनमोल मोती है!

छुपे राज हैं तेरे हर नये वास्तों पर,
मंजिल के सफर को तेरी छाँव आसान कर देती है,
एक अंगार है तेरे हर विशाल वृक्ष की उसी छाँव पर,
यह जीवन को नई सोच और अनुकूल राह देती है।

हँसती है कुछ पल इतना रोती है,
तेरे एहसानो से “दिललगी” जीवन एक अनमोल मोती है;
जीवन एक अनमोल मोती है।।

Friday, 11 May 2012

मौन हवायें- शीतल अहसास

Written  by Prateek Sancheti
तु चुप क्यों बैठी है,
तेरी मुस्कान कौन पंछी ले उड गया;
मैं तेरे पास आ रहा,
मेरी जान तुझे कौन सा रंग चढ गया ।

तु किस पुकार में है,
मुख तेरा क्यों बधिर बन गया;
मेरी चाह तु इतनी बिखरी क्यों,
समुद्र से उड तेरा धर कहाँ बड़ गया ।


तु चुप क्यों बैठी है,
तेरी मुस्कान कौन पंछी ले उड गया ॥