Saturday 18 May 2013

इस दुनिया मे ऐसा क्यो होता है!



इस दुनिया मे ऐसा क्यो होता है,
जब यह दिल हँसता है तो कोई रोता है,
इस दुनिया मे ऐसा क्यो होता है/

मेरे आँखो मे आँसू जब आते है,
शायद अंबर भी अश्रु मे भिगोता है,
लेकिन कुछ का चेहरा जब खिल-खिल होता यहाँ,
तब सागर भी लहरो से कहता है......................

इस दुनिया मे ऐसा क्यो होता है/

कभी सोचता हुँ हँसता रहुँ,
कि उनकी उदासी देख बस मन युँ कहता है,
रो लेना तू भी थोडा सा इस धरती पर,
तेरे अश्को से यहाँ कोई अपना गम धोता है/

इस दुनिया मे ऐसा क्यो होता है, इस दुनिया मे ऐसा क्यो होता है..............................

रचना:
प्रतीक संचेती

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए आभार!

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