Wednesday 18 July 2012

"सूझ-बूझ करती पहेली"


हिन्दी सिनेमा मे एक जान डालते हुए अपने जीवन की कश्तियो से जिन्होने कई नौका पार लगा दी। आज ऐसे महान किरदार को 
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली

राजेश खन्ना जी ने एक ऐसे युग को जन्म दिया जहाँ जीवन की डोर नये साधनो के लिए तेजी  से स्वीकृत थी। अपने अलग अंदाजो से पूरे युग को एक नया अहसास कराया जिसमे आपका 'आनंद' किरदार बहुत लोकप्रिय एवं अमर विभूत हो गया।

अभिनय के प्रथम सत्र मे 1990 तक आपने रातो रात तरक्की कर युवाओ को संदेश दिया कि जीवन की डोर हमारे हाथो से सदा अचूक है। हम तो सिर्फ अभिनय की कठपुटली है जिसे सदा विश्वास रख पूर्ण करना चाहिए।

आप 1992 मे दिल्ली से सांसद भी रहे और 1994 मे फिर एक बार अभिनय के पात्रो से खूब जनमानस को हास्य मे लिप्त किया। जीवन मे समभाव की मिशाल कायम कर आप सदा हम सब के बीच अमर रहेंगे।

कुछ पंक्तियाँ आपको समर्पित:



बुदबुदाते समुन्दरो मे,
आज फिर आवाज आई,
पास थी जो कश्तियाँ,
लौट कर अब ली विदाई।

सच कहा है 'किरदारो' ने,
जिन्दगी अभिनय ही है,
दूर थी जो मंजिले,
कर गई यह खुदाई

बुदबुदाते समुन्दरो मे,
आज फिर आवाज आई।।


प्रतीक संचेती

Monday 16 July 2012

“तुमने क्या किया है?”

इस अजीब सी दिल की पुकार से मैने जो तुम्हारे अतीत को परछाईं की तरह बदल कर सोचा था की तुम सदा हमारे प्यार की निशब्द मिठास को जीवन मे उतार इन जज्बातो को बदल भाव के संगीत मे मंगल यापन करोगी।
तुमने हमारे उन्मादो को नकार कर जीवन की हर ऊँचाई तो पा ही ली है। मै बहुत खुश भी हुँ तुमने अपने मार्गों को सजा कर स्त्री को और सम्मानित दर्जा दिया है। तुमने मुझे इन अधुरे रास्तो मे छोड कर किसी भी गलत कार्य को बुलावा नही दिया। तुम तो सम्मान की पात्र हो तुमने समाज मे बढ रही कुनिति के प्रति लाखो आवाजो को बुलंद किया है।
तुम सदा इसी प्रसंग को सारगर्भित करती रहो मेरी शुभकामनाये तुम्हारे साथ है।

तुमने क्या किया है,
जो हम तुमे माफ कर दें,
दिल के जख्मो को,
हम युँही साफ कर दें।

मोती सी वह बूदें,
झलकी जो आँखो से,
दर्द हुआ वह,
गहरी-गहरी बातों से।

उन सबका बताओ,
हम किस तरह इंसाफ कर दें,
तुमने क्या किया है,जो हम तुमे माफ कर दें। -2

प्रतीक संचेती

Saturday 14 July 2012

“बूँद-बूँद मे महकते स्वप्न”

Written By Prateek Sancheti


इन बूँद-बूँद लहरो का मैने देखा है अफसाना,
इन बूँद-बूँद राहो को मैने देखा है बढते जाना,
इन बूँद-बूँद बारिशों मे देखी है मैने भी नमी,
इन बूँद-बूँद की कृतियों मे देखा है मैने घुल जाना।

इन बूँद-बूँद के संस्कारो मे देखी है मैने करूणा,
इन बूँद-बूँद के खपरो से देखा है बनता आशियाना,
इन बूँद-बूँद के रंगो मे पाई है मैने रंगोली,
इन बूँद-बूँद के दीपो से देखा है सजता तट राणा ।

इन बूँद-बूँद की तड़पाहट मे देखी है मैने मंजिल,
इन बूँद-बूँद की गर्राहट मे देखा है फ़ट जाना,
इन बूँद-बूँद के शब्दो से पाई है मैने शीतलता,
इन बूँद-बूँद की उम्मीदो से छोडा है ताना-बाना ।

इन बूँद-बूँद लहरो का मैने देखा है अफसाना,
इन बूँद-बूँद राहो को मैने देखा है बढते जाना।।

Monday 9 July 2012

~~प्रभु मेरे रोम-रोम मै बस तू ही तू~~

Written By Prateek Sancheti


तू तो हर पल मे हैं,
तू हर बंधन मे है,
पापों का साया भी ना जाये जहाँ,
तू ऐसे मृधुजल मे है।

दीप की बाती जहाँ,
बिन तेल के ही जल रही,
विश्वास के उस खेमे के,
तू हर झोपड पट मे है।

महावीर कहुँ या राम कहुँ,
कान्हा तुझको कुदरत का ही फरमान कहुँ,
सूक्ष्म ही बौछारो से,
तू हर अंतर-मन मे है।

तू तो हर पल मे हैं,
तू ऐसे मृधुजल मे है।।

Thursday 5 July 2012

भारत के सपूतो को नमन

Written By Prateek Sancheti

देख लेना जब-जब कोई भूचाल आयेगा,
धरती माँ की सेवा मे एक लाल पायेगा,
चाहे मिटना पडे हमे कोई कुरवानी दे,
कोई हर्ज नही यह मेरी माँ को समर्पित हो जायेगा।

देख लेना जब-जब कोई भूचाल आयेगा।

तेरे ऐहसानो का कर्ज तो चुका न पाऊँगा,
माँ लेकिन तेरे नगमो के लिये सच्ची दुनिय़ा बनाऊँगा,
बस इसी पथ पर चलने की शक्ति दे कुदरत आपको,
हर अंग फिर गुलाब सा खिल जायेगा।

देख लेना जब-जब कोई भूचाल आयेगा।