इस अजीब सी दिल की
पुकार से मैने जो तुम्हारे अतीत को परछाईं की तरह बदल कर सोचा था की तुम सदा हमारे प्यार
की निशब्द मिठास को जीवन मे उतार इन जज्बातो को बदल भाव के संगीत मे मंगल यापन करोगी।
तुमने हमारे उन्मादो
को नकार कर जीवन की हर ऊँचाई तो पा ही ली है। मै बहुत खुश भी हुँ तुमने अपने मार्गों को सजा
कर स्त्री को और सम्मानित दर्जा दिया है। तुमने मुझे इन अधुरे रास्तो मे छोड कर किसी
भी गलत कार्य को बुलावा नही दिया। तुम तो सम्मान की पात्र हो तुमने समाज मे बढ रही
कुनिति के प्रति लाखो आवाजो को बुलंद किया है।
तुम सदा इसी प्रसंग
को सारगर्भित करती रहो मेरी शुभकामनाये तुम्हारे साथ है।
तुमने
क्या किया है,
जो
हम तुमे माफ कर दें,
दिल
के जख्मो को,
हम
युँही साफ कर दें।
मोती
सी वह बूदें,
झलकी
जो आँखो से,
दर्द
हुआ वह,
गहरी-गहरी
बातों से।
उन
सबका बताओ,
हम
किस तरह इंसाफ कर दें,
तुमने
क्या किया है,जो
हम तुमे माफ कर दें। -2
प्रतीक संचेती
प्रतीक संचेती
अच्छा लिखा है ...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
आपका बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी।
Deleteआभार
प्रतीक संचेती
बढिया प्रस्तुति ..
ReplyDeleteसमग्र गत्यात्मक ज्योतिष
आपका बहुत बहुत धन्यवाद संगीता जी।
Deleteआभार
प्रतीक संचेती
बहुत सी बातें भुलाई नहीं जाती ... हालांकि उनका तकाजा भी नहीं होता ... गहरे भाव ...
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद दिगम्बर जी।
Deleteआभार
प्रतीक संचेती
कोमल और सुन्दर भाव लिए रचना
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद रीना जी।
Deleteआभार
प्रतीक संचेती
भावमय करते शब्द ... अनुपम प्रस्तुति।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद जी।
Deleteआभार
प्रतीक संचेती
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteशSSSSSSSSSS कोई है
आपका बहुत बहुत धन्यवाद ललित जी।
Deleteआभार
प्रतीक संचेती