Monday, 16 July 2012

“तुमने क्या किया है?”

इस अजीब सी दिल की पुकार से मैने जो तुम्हारे अतीत को परछाईं की तरह बदल कर सोचा था की तुम सदा हमारे प्यार की निशब्द मिठास को जीवन मे उतार इन जज्बातो को बदल भाव के संगीत मे मंगल यापन करोगी।
तुमने हमारे उन्मादो को नकार कर जीवन की हर ऊँचाई तो पा ही ली है। मै बहुत खुश भी हुँ तुमने अपने मार्गों को सजा कर स्त्री को और सम्मानित दर्जा दिया है। तुमने मुझे इन अधुरे रास्तो मे छोड कर किसी भी गलत कार्य को बुलावा नही दिया। तुम तो सम्मान की पात्र हो तुमने समाज मे बढ रही कुनिति के प्रति लाखो आवाजो को बुलंद किया है।
तुम सदा इसी प्रसंग को सारगर्भित करती रहो मेरी शुभकामनाये तुम्हारे साथ है।

तुमने क्या किया है,
जो हम तुमे माफ कर दें,
दिल के जख्मो को,
हम युँही साफ कर दें।

मोती सी वह बूदें,
झलकी जो आँखो से,
दर्द हुआ वह,
गहरी-गहरी बातों से।

उन सबका बताओ,
हम किस तरह इंसाफ कर दें,
तुमने क्या किया है,जो हम तुमे माफ कर दें। -2

प्रतीक संचेती

12 comments:

  1. अच्छा लिखा है ...
    शुभकामनायें आपको !

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी।
      आभार
      प्रतीक संचेती

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद संगीता जी।
      आभार
      प्रतीक संचेती

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  3. बहुत सी बातें भुलाई नहीं जाती ... हालांकि उनका तकाजा भी नहीं होता ... गहरे भाव ...

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद दिगम्बर जी।
      आभार
      प्रतीक संचेती

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  4. कोमल और सुन्दर भाव लिए रचना

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद रीना जी।
      आभार
      प्रतीक संचेती

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  5. भावमय करते शब्‍द ... अनुपम प्रस्‍तुति।

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद जी।
      आभार
      प्रतीक संचेती

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ललित जी।
      आभार
      प्रतीक संचेती

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