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सिनेमा मे एक जान डालते हुए अपने जीवन की कश्तियो से जिन्होने कई नौका पार लगा दी।
आज ऐसे महान किरदार को
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली।
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली।
राजेश
खन्ना जी ने एक ऐसे युग को जन्म दिया जहाँ जीवन की डोर नये साधनो के लिए तेजी से स्वीकृत थी। अपने अलग अंदाजो से पूरे युग को
एक नया अहसास कराया जिसमे आपका 'आनंद' किरदार बहुत लोकप्रिय एवं
अमर विभूत हो गया।
अभिनय के
प्रथम सत्र मे 1990 तक आपने रातो रात तरक्की कर युवाओ को संदेश दिया कि जीवन की
डोर हमारे हाथो से सदा अचूक है। हम तो सिर्फ अभिनय की कठपुटली है जिसे सदा विश्वास
रख पूर्ण करना चाहिए।
आप 1992
मे दिल्ली से सांसद भी रहे और 1994 मे फिर एक बार अभिनय के पात्रो से खूब जनमानस
को हास्य मे लिप्त किया। जीवन मे समभाव की मिशाल कायम कर आप सदा हम सब के बीच अमर
रहेंगे।
कुछ
पंक्तियाँ आपको समर्पित:
बुदबुदाते
समुन्दरो मे,
आज फिर
आवाज आई,
पास थी
जो कश्तियाँ,
लौट कर
अब ली विदाई।
सच कहा
है 'किरदारो'
ने,
जिन्दगी
अभिनय ही है,
दूर थी
जो मंजिले,
कर गई यह
‘खुदाई’।
बुदबुदाते
समुन्दरो मे,
आज फिर
आवाज आई।।
प्रतीक संचेती
इस महान कलाकार को हार्दिक श्रद्धांजलि ...
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