काका के निधन के बाद बहुत दिनो से ना जाने कुछ लिखने की इच्छा नही हो रही थी। लेकिन आज इस सावन के प्रिय पर्व पर बहनो का प्यार मुझे
फिर अपनी और खीच लाया। माँ, बहन, दोस्त और जीवन संगम के हर मोड पर साथ देने वाली सारी
स्त्रीयो को मेरा नमन, वंदन।
आज के इस युग मे देश खुली सोच मे तो परिवर्तित हो रहा
है परन्तु कहीं ना कहीं जाती भेद अपनी स्थती जमाये हुए है। इसी वातावरण को बदलने और
अपने जीवन मे बहनो के उपकार को दूसरो तक पहुँचाने तमाम स्त्रीयों को समर्पित मेरी कुछ
पंक्तियाँ-
लडकियाँ भी तो इंसान हैं,
खूबसूरत जिनका इमान है,
कभी बनती माँ कभी बहन बन जाती,
दोस्ती के नाम पर वह हर बात हजम कर जाती।
कोशिश मे वह प्यारा सा साथ होता,
हर कठिनाइयों मे जिसका दिल-दिलदार
होता,
ऐसी खूबसूरत रचना को दुनिय़ा निगल कर जाती,
दोस्ती के नाम पर वह हर बात हजम कर जाती।
लड़का वंश की घड़ी घुमाता,
लड़की उसे चलाती,
दो-दो परिवार की हर साँस आगे बढ़ाती,
दोस्ती के नाम पर वह हर बात हजम कर जाती।
शूर-वीर की हर लडाई सम्मान का दर्जा
पाती,
असली लड़ाई लड़ने वाली को दुनिया है ठुकराती,
बलिदान के लिये भी हाथ आगे बढ़ाती,
दोस्ती के नाम पर वह हर बात हजम कर जाती। -2
मेरे जीवन मे भी ऐसे कई महत्वपूर्ण अंश निभा
सब कुछ हजम करने वाली तमाम बहनो की सफलता की कामना करते हुए आप सभी लोगो को भी इस मिठास
के शुभ पर्व रक्षा-बंधन पर बहुत-बहुत बधाई।
धन्यवाद
प्रतीक संचेती द्वारा
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