Written By Prateek Sancheti |
तू तो हर पल मे हैं,
तू हर बंधन मे है,
पापों का साया भी ना
जाये जहाँ,
तू ऐसे मृधुजल मे है।
दीप की बाती जहाँ,
बिन तेल के ही जल रही,
विश्वास के उस खेमे
के,
तू हर झोपड पट मे है।
महावीर कहुँ या राम
कहुँ,
कान्हा तुझको कुदरत
का ही फरमान कहुँ,
सूक्ष्म ही बौछारो से,
तू हर अंतर-मन मे है।
तू तो हर पल मे हैं,
तू ऐसे मृधुजल मे है।।
बहुत सुन्दर भाव हैं...
ReplyDeleteलिखते रहिये...
कुछ टाइपिंग की गलतियां सुधार लीजिए.
तु को तू
और बौझार को बौछार करें...
ढेर सारी शुभकामनाएं
अनु
अनु जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
Deleteटाइपिंग गलतियों के लिये क्षमा चाहुँगा।
सदा साथ बनाये रखें।
सह धन्यवाद
प्रतीक संचेती