Monday 9 July 2012

~~प्रभु मेरे रोम-रोम मै बस तू ही तू~~

Written By Prateek Sancheti


तू तो हर पल मे हैं,
तू हर बंधन मे है,
पापों का साया भी ना जाये जहाँ,
तू ऐसे मृधुजल मे है।

दीप की बाती जहाँ,
बिन तेल के ही जल रही,
विश्वास के उस खेमे के,
तू हर झोपड पट मे है।

महावीर कहुँ या राम कहुँ,
कान्हा तुझको कुदरत का ही फरमान कहुँ,
सूक्ष्म ही बौछारो से,
तू हर अंतर-मन मे है।

तू तो हर पल मे हैं,
तू ऐसे मृधुजल मे है।।

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर भाव हैं...
    लिखते रहिये...

    कुछ टाइपिंग की गलतियां सुधार लीजिए.
    तु को तू
    और बौझार को बौछार करें...

    ढेर सारी शुभकामनाएं
    अनु

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    Replies
    1. अनु जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
      टाइपिंग गलतियों के लिये क्षमा चाहुँगा।
      सदा साथ बनाये रखें।

      सह धन्यवाद
      प्रतीक संचेती

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