Sunday 13 October 2013

विजयादशमी और 21वी सदी


त्यौहारो का चौपाल लगा है,
एक दिवस का संसार लगा है,
माया-मोह-कपट मे देखो,
पुतलो का अंबार लगा है/

त्यौहारो का चौपाल लगा है/

बडे-बडे है देखो रावण,
आग लगाते धरती पावन,
क्रोध-हब्श की प्यास लगी है,
पुतलो मे अंगार लगा है/

त्यौहारो का चौपाल लगा है/

समय-समय की देखो रंजिश,
माता बहने होती शोषित,
काले चेहरो की कश्ती पर,
पुतलो से रोशन संसार खड़ा है/

त्यौहारो का चौपाल लगा है/

विजयादशमी की सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाये/

रचना:

प्रतीक संचेती

1 comment:

  1. बहुत-बहुत धन्यवाद शास्त्री जी/

    सादर
    प्रतीक संचेती

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