Monday, 11 June 2012

जब तक जवाँ हुँ!

Written By Prateek Sancheti

जब तक जवाँ हुँ चलता रहुँगा,
मोत के डर से लड़ता रहुँगा,
जो कहता है जीवन मजबूर है,
दोस्तों मै रोज जीवनी पलटता रहुँगा,

जब तक जवाँ हुँ चलता रहुँगा।

सोच मै हर पल वह बचपना है,
पहाडो के कारवाँ मे रोज ढ़लता रहुँगा,
नगमे उस खुदा के भी कहाँ दूर हैं,
मै तो बस “कहानी से कहानी” मसलता रहुँगा,

जब तक जवाँ हुँ चलता रहुँगा,
सपनो के साथ यूँही लड़ता रहुँगा,
जब तक जवाँ हुँ चलता रहुँगा, जब तक जवाँ हुँ चलता रहुँगा।

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