Friday, 15 June 2012

नई शुरूवात

Written By Prateek Sancheti

नई शुरूवात कर के लिख रहा हुँ,
अपने पन्नों को रंगने ही दिख रहा हुँ,
मै तो चल रहा हुँ बंद कोने के सहारे,
इस लिए नई सड़क रोज परख रहा हुँ,

नई शुरूवात कर के लिख रहा हुँ।

घटती जा रही है रुचि दुनिया के संग मेरी,
क्यों कविताएँ भी दिख रही हैं अधुरी,
यह आईना है यारो हर समाज का,
शायद इसलिए पटरी पर ही फिसल रहा हुँ,

नई शुरूवात कर के लिख रहा हुँ।

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