लंबोदर
के साथ मैने,
जीत
ली दुनिया पुरानी,
आ
गये है आज फिर से,
दे
रहे मुझको जवानी।
सिर
मे मुझको जो बिठाकर,
आपने
मंजिल दिखाई,
हे
प्रभु नाथ सबके,
आपको
फिर से बधाई।
जो
कभी कुछ युँ हुआ था,
आपने
देखी थी तडपन,
दे
रही है जोश मुझको,
आपकी
वह योग कंचन।
आपके
उन संस्कारो से,
गीत
की रचना सजाई,
हे
प्रभु नाथ सबके,
आपको
फिर से बधाई।।
धन्यवाद
प्रतीक संचेती
गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें...... बप्पा को नमन
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत धन्यवाद चैतन्य जी।
Deleteप्रतीक संचेती