Friday, 12 October 2012

दिल के करीब लम्हे



छोटे से कंधे पर सो जाना,
फिर अपनी बक-बक से उसे पकाना,
EMOTION की गलियो मे खोकर,
MIND को FRACTURE कर जाना।

कही हिन्दी मे बक-बक करना,
कही ENGLISH से HINGLISH बनाना,
वह रातो को जागना,
वह दिनो मे लोरी सुनाना।

CLASS ROOM मे बैठकर,
करना वही ALL TIME पक-पक,
फिर कुछ ही घंटो मे,
सपनो की दुनिया का ROUND लगाना।

सर के सवालो से,
HEAD को खुजाना,
फिर अंत मे दिमाग से,
खुद TEACHER को ही उलझाना।

पागलो सा रास्तो मे उचकना,
फिर SHOES की डोर जमाना,
वह पत्थरो को देना एक लात,
वह दोस्त के पैर मे लग जाना।

पूरे रास्ते भर फिर सुनना गाली,
और वह प्यार के झापड़ खाना,
IDIOT कहकर कमीने चिल्लाना,
फिर वही बातो मे खो जाना।

भईया-भाभी के जाल बुनना,
लेकिन BROTHER-SISTER से रिश्ते बनाना,
मस्त होकर कई पल बिताना,
फिर किताबो का IQ आजमाना।

SOLUTION के नये-नये तरीके खोजना,
लेकिन SHORTCUT से ही JUMP लगाना,
CARTOON और JOKER जैसे कई किरदार निभाना,
फिर हवाओ मे खुलकर खूब चिल्लाना।

पूरी दुनिया को करना ASIDE,
और हर पल को कुछ इस तरह जी जाना,
कभी हँसना कभी रोना,
लेकिन सारे लम्हो को साथ बिताना।

फिर छोटे से कंधे पर सो जाना………………………….

रचना:
प्रतीक संचेती

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