प्यार से कहता रहा
हुँ,
देख तेरे रूप कितने,
पास तेरी धमनियो मे,
बह रहे मगरूर कितने।
आज तूने किस कदर,
इन अदाओ को सवारा,
जुल्फ की अंगड़ाईयो
से,
गीत का मंजर बिखारा।
इन निगाहो मे छिपी
है,
मदहोश करती कुछ लतायें,
इन नजारो मे बिछे है,
जिंदगी के सूल कितने।
प्यार से कहता रहा
हुँ,
देख तेरे रूप कितने।
रचना:
प्रतीक संचेती
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