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Written by Prateek Sancheti |
कुछ अंजामो के सहारे पथ बड़ जाते है,
कुछ पथ युहीं हलके रह जाते है;
कठोर वाचना अहसासों की हो चली,
शीतल परिणाम यह जीत के शह्जादे ही सह पाते हैं;
कुछ अंजामो के सहारे पथ बड़ जाते है!
रास्ते के बदलते छोर और मेहनत के ओझल मोड़,
दोनों आपस में बस यही गान गाते हैं;
पन्त की मुस्कान कभी पथित को ना थकाती,
यह थके हुए मुशाफिर ही आगे छाव के पेड़ कहलाते है;
कुछ अंजामो के सहारे पथ बड़ जाते है!
मेरे सवाल आज भी शेष है,
जवाब कहा इस दुनिया में अब मिल पाते है,
खून की श्रंखला से ही हर जीत क्यों पाना होती आपको?
क्या यह सिपाही अपने माँ-बाप को बस यही देने आते है?
कुछ अंजामो के सहारे पथ बड़ जाते है!
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