Written By Prateek Sancheti |
किसी ने पुछा यह जीवन
क्या है?
मैने कहा कला है;
उसने कहा इसका शिक्षक
प्रतीक बताओ कहाँ है?
पूछ-पूछ कर वह यह पूछ
गया,
क्या मानव इसकी अदा
है?
किसी ने पुछा यह जीवन
क्या है?
मैने कहा कला है।
बात-बात में सारे पन्ने,
यह कवि खोल गया है;
मेने बोला बेटा पंछी
यह तेरी आत्मकथा है।
कह गया वह मेरा जीवन,
आसमानो मे उड़ गया
है;
मैने कहा भूल ना नादाँ
वहीं रोचक हवा है;
किसी ने पुछा यह जीवन
क्या है?
मैने कहा कला है।
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