Written By Prateek Sancheti |
कलम ने मुझे सब दे दिया, हिमालय के पार देश में उपहार, टूटी हुई बैशाख को जोड़ अपने पन की मझदार से कह दिया; कलम ने मुझे सब दे दिया;
रात का छिपा चन्द्रमा, दिन की रोशनी में तारो के संग दे दिया; शीतलता है अर्थ मेरा टिमटिम उजाले से मन यह कह गया; कलम ने मुझे सब दे दिया;
लेखक का ख़िताब, ऊपर वाले का निखार, हातों की नमी को किया संपूर्ण, बदन में उर्जा का स्मरण बह गया, कलम ने मुझे सब दे दिया;
प्यार का अहसास, बिना दिल लगाये जीवन जीने का राज, महंगाई की बातो में सस्ता मुझे अर्थ दे दिया, कलम ने मुझे सब दे दिया; कलम ने मुझे सब दे दिया!
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