Thursday, 3 May 2012

"कलम ने मुझे सब दे दिया !"




Written By Prateek Sancheti

कलम ने मुझे सब दे दियाहिमालय के पार देश में उपहारटूटी हुई बैशाख को जोड़ अपने पन की मझदार से कह दियाकलम ने मुझे सब दे दिया;

रात का छिपा चन्द्रमा, दिन की रोशनी में तारो के संग दे दिया; शीतलता है अर्थ मेरा टिमटिम उजाले से मन यह कह गयाकलम ने मुझे सब दे दिया;

लेखक का ख़िताब, ऊपर वाले का निखार, हातों की नमी को किया संपूर्ण, बदन में उर्जा का स्मरण बह गयाकलम ने मुझे सब दे दिया;

प्यार का अहसास, बिना दिल लगाये जीवन जीने का राज, महंगाई की बातो में सस्ता मुझे अर्थ दे दिया, कलम ने मुझे सब दे दियाकलम ने मुझे सब दे दिया!

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