Sunday, 20 May 2012

मुस्कुराती जिंदगी

Written By Prateek Sancheti


हँसती है कुछ पल इतना रोती है,
दिल-ए-फरमान तु जिंदगी क्यों मुझको इतना ढ़ोती है?
आस-पास की सारी कश्ती मै तैर लगाने जाता हुँ,
मझधार की शक्ति तु युँ हँसकर झेल लेती है;

हँसती है कुछ पल इतना रोती है,
तेरे एहसानो से “दिललगी” जीवन एक अनमोल मोती है!

छुपे राज हैं तेरे हर नये वास्तों पर,
मंजिल के सफर को तेरी छाँव आसान कर देती है,
एक अंगार है तेरे हर विशाल वृक्ष की उसी छाँव पर,
यह जीवन को नई सोच और अनुकूल राह देती है।

हँसती है कुछ पल इतना रोती है,
तेरे एहसानो से “दिललगी” जीवन एक अनमोल मोती है;
जीवन एक अनमोल मोती है।।

No comments:

Post a Comment